Wednesday, December 28, 2011

मुझे तो परमवीर चक्र दो

भारत सरकार ने हाल ही में भारत रत्न की पात्रता की शर्तों में बदलाव किया है
प्रथमदृष्टया दिखता है कि सचिन तेंदुलकर को ही ध्यान में रखकर ये बदलाव हुआ है.अब सचिन के लिए नियमों में परिवर्तन किया जा रहा है किसी एक व्यक्ति को सम्मानित करने के लिए नीतियों में परिवर्तन किया जा रहा हो तो यह अति है.गत वर्षों दुनिया का सबसे बड़ा और सम्माननीय नोबुल शांति पुरष्कार ओबामा को दे दिया गया जब दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कार की ये हालत है तो भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले पद्मश्री से लेकर भारत-रत्न तक की तो बात ही करना मूर्खता होगी.लेकिन यह भी तो सोचिये कि जो पुरस्कार डा० राजेंद्र प्रसाद को मिला वही श्रीमती इंदिरा गाँधी को भी मिला और तो और राजीव गाँधी को भी दे दिया गया.क्या ये सब राजनेता एक जैसे सम्माननीय थे?कल हो सकता है ये पुरस्कार लालू और मायावती को भी मिल जाय.तब तो सब लोग मानेंगे कि इससे अच्छे तो सचिन तेंदुलकर ही थे.
सही है कि सरकारें पुरस्कार देने में मनमानी करती हैं लेकिन अब तक इस प्रकार की मनमानियां एक दायरे में ही होती थी नियमों को ही किसी के लिए बदल दिया गया हो याद नहीं आता है।चाँद तक पहुँचने की कोशिश करना तो ठीक है लेकिन चाँद को ही अपने लिए घसीटने की मानसिकता गलत हैं,इसके निहितार्थ भयानक हैं.कल को कोई जिद कर सकता है कि मुझे परमवीर चक्र चाहिए क्योंकि मैने क्रिकेट के मैदान पर बहुत ही बहादुरी का काम किया है तो क्या इसके लिए भी परिवर्तन किया जाएगा?अरे इतने बड़े सम्मान की कुछ तो गरिमा रखो भाई कल कोई भारत रत्न जब टीवी पर कोल्डड्रिंक,मंजन और साबुन बेचता नज़र आएगा तो अच्छा लगेगा?क्या कहूँ सरकार को तो कोई सरोकार ही नहीं है आपसे हमसे.