Friday, September 24, 2010

नाम रखने की कवायद

जैसे ही नर्से आकर बताती है की आपको बिटिया हुई है, ठीक उसी समय इस बात की भी डिलीवरी हो जाती है कि बच्ची का नाम क्या रखा जाए.? मौजूदा समय में बच्चे का नाम रखना उसे पैदा करने से भी बड़ी चुनौती है। मां-बाप चाहते हैं कि नाम कुछ ऐसा हो जो डिफरेंट साउंड करे। सब्सटेंस हो न हो, स्टाइल का होना जरूरी है।
अर्थ में मात खा जाए, लेकिन अदा में खरा उतरे। फिर बेशक बच्चे को जीवन भर जेब में स्पष्टीकरण लेकर घूमना पड़े कि उसके नाम का क्या मतलब है? जब भी कोई पूछे कि बिटिया तुम्हारे नाम का मतलब क्या है.तो बच्ची पूछने वाले को बुकलेट थमा दे, ये पढ़ लीजिए। इसमें शब्द की उत्पत्ति से मेरे नाम की उत्पत्ति तक सबकुछ समझाया गया है। ऐसी ही मुसीबत में कुछ दिनों से में भी फंसा हूँ।
धरती पर बिटिया का पदार्पण हुए नौ महीने बीत चुके हैं, लेकिन गुलगुल,गुडिया,बिट्टी,पुच्ची,के बीच फंसा हुआ हूँ।कामवाली बाइयों से लेकर नामांकन को अधिकृत दादा दादी और बुआ तक जिसकी जुबान पर जो आता है वो पुकारता है। हर कोई उम्मीद करता है कि उसके पुकारे नाम पर बच्ची मुस्कुराए। उम्मीद करने वालों में वो लोग भी हैं जो जीवन में दो मोबाइल नंबर तक याद नहीं रख पाते और नौ महीने के बच्चे से उम्मीद करते हैं कि वो पांच-पांच नाम याद रख ले।
इस सब पर एक्सक्लूसिव नाम रखने की चाह ऐसी है कि जो नाम रखना है वो दूर तक रिश्तेदार और पड़ोसियों में किसी का नहीं होना चाहिए। नेट से लेकर बच्चों के नाम सुझाने वाली कितनी ही किताबों की खाक मैंने छान डाली है मगर नाम तय नहीं हुआ। एकाध नाम जो ठीक लगे वे बुजुर्गो से पुकारे नहीं जाते और जो बड़े बुजुर्ग सुझाते हैं वो पचास के दशक की ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों की हीरोइनों पहले ही रख चुकी हैं।
फिर किसी ने सुझाव भी दिया कि अगर हिंदु धर्म या हिंदी भाषा इसमें मदद नहीं कर रही है तो बच्चे का कोई चाइनीज नाम रख दो। इससे एक तो वह डिफरेंट साउंड करेगा, दूसरे जीवन भर अपने नाम के कारण चर्चा का विषय बना रहेगा। जैसे-हू जिंताओ,आंग सां सु की टाइप कुछ। या फिर किसी विदेशी नाम के साथ भारतीय ना मिक्स करके रख दिया जाए, जैसे लारा दत्ता,सुनीता विलियम आदि मगर बिटिया की माँ इसपर भी सहमत नहीं।
फिर एक बात आई कि एक ट्रेंड यह भी रहा है कि बच्चे के पैदा होने के समय जो फिल्म या हिरोइन हिट हो, उसके नाम पर बच्चे का नाम रख दिया जाए। एक ने कहा भी अगर आप इस तरह का एक्सपेरीमेंट करने के लिए तैयार हैं तो बच्चे का नाम इब्ने बतूता रख दें। इससे पहले कि वह और कुछ कहता,मेरी नजर उस जूते पर पड़ी जो उसके बगल में ही पड़ा था।बतूता के चक्कर में उसका भुर्ता न बन जाए, यह सोच सुझाव देने वाला चुप हो गया।
जब किसी नाम पर सहमति नहीं बनी तो मैंने बिटिया की माँ को सुझाव दिया कि अगर यह काम वाकई इतना मुश्किल है तो हाल-फिलहाल बच्ची का नाम स्थगित रख दो।वैसे भी हम बीमा वाले मेजर होने तक तो बच्चे को कुछ मानते भी कहाँ है , जब बड़ी होगी तो खुद ब खुद अपना नाम रख लेगी। कम से कम कुछ फैंसी नाम ना रख पाने के लिए तुम्हें कोसेगी तो नहीं।बिटिया की माँ ने इसे भी हंसकर टाल दिया।
खैर, एक सुबह मुझे एक आईडिया आया की अपने सभी मित्रों को एक एसएमएस करूँ- मेरी प्यारी बिटिया जिसका जन्म, फलां-फलां तारीख को हुआ हैं उसका नाम रखने में हम आपकी मदद चाहते हैं। नीचे कुछ ऑप्शन दिए हैं- आप अपनी पसंद का नाम बता, हमारी मदद करें। फोन एक हफ्ते तक चलेगा, नतीजे फलां तारीख को घोषित किए जाएंगे। मित्र को जवाब दे, मैं सोचने लगा कि अगर शेक्सपियर और प्रेमचंद आज जिंदा होते तो यह मैसेज मैं उन्हें जरूर फॉरवर्ड करता।

5 comments:

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

Patali-The-Village said...

दोस्तों के सुझाव का इंतजार रहेगा|

Sanjeet Tripathi said...

bahut khoob. to fir naam mil jaye jab koi badhiya sa to bataiyega....

vaise bharat me ek parampara hai ki har milne wala ek sujhaav de detaa hai. to aise hi...

bitiyaa ki janmtareekh ke aadhaar par ank jyotish ke base pe naam talashiye jara....

bitiya rani ko ashesh shubhkamnayein....

Betiyan hi ghar banati hain....

खबरों की दुनियाँ said...

अच्छा लेखन। बधाई ।

Anonymous said...

vaise bharat me ek parampara hai ki har milne wala ek sujhaav de detaa hai. to aise hi...

लेखिका

शुभ आशीष